Wednesday, December 09, 2009

स्कूल में पढ़ी कबीर की एक कविता

मोको कहाँ ढूंढें बन्दे, मैं तो तेरे पास में |

ना में देवल ना में मसजिद, ना काबे कैलास में |

ना तो कौने क्रिया-कर्म में, नहीं योग-बैराग में |

खोजी होए तो तुरतै मिलिहौं, पल भर की तलास में |

कहैं कबीर सुनो भाई साधो, सब स्वांसों की स्वांस में ||

2 comments:

GIRIJA said...

Sir Mahajan ki jai ho!

Ruchita Madhok said...

you can say that again!
sir mahajan ki jai ho!!!

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