यह बोली मेरी खोली है
गरीब है पर प्यारी है
छोटी है पर संतुष्ट।
इसे मत छीन लेना मुझसे
इसके सहारे शब्दों के बड़े तूफ़ान झेलें हैं मैंने
अंग्रेजी कि कई बारिशें आई हैं
लेकिन फिर भी इसने मुझे आश्रय दिया है।
कहो तो मैं इसे साथ ले आऊँ -
आपकी ईमारत की छाँव में
इसे एक कोने में टाक दूंगी-
वह शायद ही आपके काम आएगी
लेकिन मुझे कम से कम यह तो याद दिलाएगी
कि दिल कि बात कैसे कही जाती है।
Sunday, June 12, 2011
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2 comments:
umdaa rachna hai.
(btw, is there a way i can follow your blog)
bahut bahut shukriya Vikalp
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nahin toh..just bookmark the blog and return whenever you like :)
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